इम्यूनिटी बढ़ाने के बजाय परेशानियां बढ़ा रहा मसालों, विटामिन और काढ़े का ओवरडोज

इम्यूनिटी बढ़ाने के बजाय परेशानियां बढ़ा रहा मसालों, विटामिन और काढ़े का ओवरडोज

सेहतराग टीम

कोरोना का चलते लोग इम्यून सिस्टम मजबूत बनाएं चाहते हैं। और इसके लिए काढा, विटामिन सप्लिमेंटस व भारतीय रसोई में मिलने वाली जड़ी बूटियों का सेवन कर रहे हैं। लेकिन इसकी सही मात्रा लोगों को पता नहीं इसलिए लहसुन, काली मिर्च, दालचीनी, गिलोय जैसी चीजें भी बेहिसाब मात्रा में लेने से अल्सर, पेट दर्द जैसी परेशानियां हो रही हैं।

इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए यह वीडियो देखें

केस 1:- विटामिन सी का ओवरडोज़ लिया, नतीजा क्रैम्प, नॉशिया:

विधि मेहता को कुछ दिनों से पेट मरोड़ (क्रैम्प) और वॉमिट शिकायत दिनभर रहने लगी थी। डॉक्टर से सलाह लो तो उन्होंने खानपान के बारे में पूछा। पता लगा कि वो इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए विटामिन-सी के सप्लिमेंट ले रही हैं। रोजाना 1500mg तक विटामिन सी उनकी बॉडी में जा रहा है जबकि व्यस्क महिला के 70mg  और पुरुष के 90mg काफी है। विटामिन सी की अधिकता की वजह से उन्हें ये परेशानियां हो रही थी।

केस 2:- बेहिसाब मात्रा में गर्म मसाले डला काढा पिया, परिणाम पेट में अल्सर:

विनय मेरावी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव हैं। दवा बाजार और अस्पतालों के चक्कर दिन में कई बार लग जाते हैं इसलिए वो सुबह शाम अदरक, लौंग काली मिर्च, दालचीनी का काढा पीते हैं। इससे उन्हे पेट में जलन रहने लगी। इसे उन्होंने कुछ दिन नजरअंदाज किया। फिर एक दिन पता लगा कि ये जो गर्म तासीर के मसालों का काढा वो सुबह शाम ही रहे हैं उसने पूरी आहार नली में छाले कर दिए। डाक्टर ने बताया कि इनकी सही मात्रा कितनी होती है और काढा दिन में एक बार पीना काफी है।

दालचीनी में हेपेटॉक्सिन ज्यादा, इसकी अधिकता लिवर के लिए घातक:

डॉ. प्रीति शुक्ला, न्यूट्रीनिस्ट का कहना है, दालचीनी, अदरक लौंग जैसे मसालों की तासीर गर्म होती है। ज्यादा मात्रा में लेने से छाले, पेट की परेशानियां, कब्ज और हार्ट बुरण जैसी समस्याएं हो रही है। माइक्रो न्यूट्रिएंट चाहिए पर उसके लिए भारतीय थाली पर्याप्त है। काढ़ा पीना ही है तो एक बार पी लें। दालचीनी में हेपेटॉक्सिन ज्यादा होता है जो लिवर के लिए घातक है। लहसुन भी दिन में 4 से 6 कलियां ही खाना चाहिए जो रोज की सब्जी दाल में खा ही लेते हैं।

इंटरनेट पर देख काढ़ा बना रहे लोग लेकिन एक फार्मूला सबके लिए सही नहीं होता:

डॉक्टर विशाल जैन, गेस्ट्रोइटेरोलॉजिस्ट का कहना है, 'जो आसान है वो लोग कर रहे हैं। इंटरनेट पर काढ़ा बनाना देखा, बनाया और पी लिया। जबकि इम्यूनिटी यूं एक दो दिन में नहीं बढ़ेगी। उसके लिए लाइफस्टाइल सुधारनी होगी। 40 मिनट व्यायाम करना होगा पर वो आसान नहीं, इसलिए काढ़ा बेहिसाब पिए जा रहे हैं। हर किसी के लिए वो एक फार्मूला सही नहीं हो सकता। हर शरीर अलग है। डॉक्टर हर व्यक्ति के हिसाब से मैक्रोन्यूट्रिएंट और उनकी मात्रा तय करते हैं।'

आयुर्वेद अंदाजें पर नहीं, सही मात्रा और दवाओं के सटीक कॉम्बिनेशन पर काम करता है:

सतीश शर्मा, प्राचार्य, गवर्नमेंट अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज का कहना है, जिस औषधि को जिस चीज के साथ लेने के कहा गया है उसी के साथ तय मात्रा में लेना जरूरी है। आयुर्वेद अंदाजे पर नहीं, सही मात्रा व सटीक कॉम्बिनेशन पर काम करता है। जैसे बच्चों के लिए एक गिलास दूध में आधा चम्मच हल्दी और बड़ों के लिए एक चम्मच हल्दी मिक्स करें। अधिकता दिक्कत देगी। दाल चीनी , त्रिकूट, मुनक्का व गुड़ गर्म पानी में उबालकर एक बार ही लें। बाकी मसाले खाने में ले ही रहे हैं।

सामाग्रियों की सही मात्रा क्या है?

दालचीनी- 1/2 चम्मच

गिलोय- 2 चम्मच

लौंग पाउडर- 2.5 चम्मच

जीरा- 1/2 चम्मच

लहसुन- 1/2 चम्मच

अश्वगंधा- एक कैप्सूल

काली मिर्च- 2 से 5 नग

इलायची- 4 से 5 नग

लौंग- 4 से 5 नग

तुलसी- 3 से 5 पत्ते

नोट- वजन और वात, पित्त, कफ सहित कई चीजों को परखने के बाद विशेषज्ञ इन औषधियों की मात्रा तय करते हैं। रूटीन में इनका डोज बढ़ाने से पहले डॉक्टर से कंसल्ट करें।

(साभार)

 

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